बसपा सुप्रीमो मायावती की राजनीतिक समझ ने अखिलेश को हल्का कर दिया!
लखनऊ (Lucknow)| बहुजन समाज पार्टी की तरफ आज प्रेस काफ्रेंस करके राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बहुत सारे तीर समाजवादी पार्टी की तरफ छोडे। राज्यसभा के चुनाव से लेकर लोकसभा के गठबंधन तक पर अपनी बात रखी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने 1995 की घटना को भी फिर याद किया। 2003 में बसपा के विधायको को तोड़ने की घटना का भी काफी ज्यादा जिक्र करते हुए कहा कि पिता के नक्शेकदम पर ही आज अखिलेश यादव चल रहे है, जो सही नही है।
लेकिन राज्यसभा के घटना क्रम की ओर नजर डाले तो सपा ने पहले रामगोपाल यादव का अकेले का फार्म भरा, तो उसके बाद बसपा ने भी अपने एक उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया। लेकिन नामांकन के अंतिम दिन सपा ने एक ओर समर्थित उम्मीदवार को उतार दिया। जिससे लगा कि अखिलेश ने कोई बडा खेल कर दिया। उसके अगले ही दिन बसपा के विधायको का प्रस्ताव से नाम वापस लेना और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करने की खबर से साफ हो गया था कि अखिलेश यादव बसपा सुप्रीमो मायावती पर भारी नजर आ गए और यूपी की राजनीतिक में बडा कारनामा कर देंगे मगर शाम होते होते सबकुछ बदल गया। सपा समर्थित उम्मीदवार का पर्चा खारिज हुआ और अखिलेश यादव के सपना ही टुट गया। तो अखिलेश यूपी में हल्के से भी हल्के हो गये।
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