Bihar Election 2020 : इस बार भी जातिगत समीकरण के बिना संभव नहीं बिहार की राजनीति
![]() |
Tejaswi and Nitish Kumar (File Photo) |
पटना(Patna)। बिहार चुनाव 2020 में प्रत्यक्ष तौर पर तो बातें विकास की जरूर हो रही है। अभी विपक्षी पार्टियों द्वारा रोजगार , भ्रष्टाचार और शिक्षा के मुद्दे खूब उछाले जा रहे है लेकिन हकीकत यह है कि धीरे -धीरे यह सब मुद्दे गायब होते जा रहे है। और अब ऐसा लगा रहा है कि तीसरे चरण तक सभी मुद्दे बुलकर जातिगत मुद्दा ही रहेगा।
इस बार बिहार की राजनीति दिखाई दे रही थी अलग
बिहार के अंदर पहली बार जातिगत मुद्दों से हटकर रोजगार और नौकरी का मुद्दा पहली बार चुनावी मुद्दा रहा। आपको बता दे कि अभी नितीश कुमार को घेरने के लिए महागठबंधन मजबूती के साथ विकास और युवाओ को रोजगार का मुद्दा पकड़ रखे है और इससे महागठबंधन काफी ज्यादा सुर्खियों में भी है। लेकिन पहले चरण में जिन -जिन मुद्दों को उठाया था वह अब गौण होते दिखाई दे रहे है और एक बार फिर बिहार की राजनीति जातिगत समीकरण की और जाती दिखाई दे रही है।
चुनावी मुद्दों को लेकर चुनावी विश्लेषकों के विचार
चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव के शुरुआती दौर में तो यह लग रहा था कि इस बार चुनाव बिलकुल अलग होगा। उन्होंने कहा पहले तो तमाम पार्टियों द्वारा जातिगत समीकरण से ऊपर उठकर रोजगार ,विकास और शिक्षा के मुद्दों पर चर्चा हो रही थी,लेकिन अब चुनाव पूरी तरह पहले कि तरह ही जातिगत समीकरण की और जाता दिखाई दे रहा है।
अत्यंत पिछड़ी जातियों पर सबकी नजर है
चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि हर बार की इस बार भी चुनावो में जातीय समीकर हावी हो रहा है। मतदान नजदीक एते ही चुनावी मुद्दे गायब हो जाते है और उम्मीदवारों की किस्मत जातिगत समीकरण से ही तय होता जा रहा है। पिछले कई चुनावों में अत्यंत पिछड़ी जातियां जदयू के साथ दिखाई दे रही है। इस बार भाजपा भी इन पर नजर गड़ाए बैठी है। तमाम पार्टिया अब जातीय समीकरण फॉर्मूले को अपनांने में लग गई है।
बहुजन समाज की सबसे तेज खबरें पाने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज को लाईक करें, Twitter पर फॉलो भी करे और यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।
No comments:
Post a Comment