बिहार के 2 दलित कलाकारों को मिला पद्मा श्री पुरुस्कार , जाने उनके बारे में
By - Mahaveerइस वर्ष जिन लोगो को पद्मा श्री पुरुस्कार से नवाजा गया है उनमे से दो लग बिहार के दलित समाज के रामचंद्र मांझी और दुलारी कलाकार भी शामिल है। आपको बता दे कि रामचंद्र मांझी जहाँ नाच कलाकार है वही दुलारी देवी मिथिला चित्रकार है। दोनों ही इन दलित कलाकरो को राष्ट्रीय प्रुस्कार तक पहुंचने के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा। पद्मा श्री मिलने के बाद दोनों नोलो कलाकरो ने कहा परिस्थितिया ही हमारे जीवन को शक्ति देती है जो उनकी कला को उनकी कला को भी जीवन शक्ति देती है।
आइये जानते है दोनों कलाकरो के बारे में सबसे पहले कलाकार दलित रामचंद्र मांझी की बात करते है। 84 वर्ष के रामचंद्र मांझी लौंडा नाच के कलाकार रहे है। जो महिला की ड्रेस पहनकर विभिन्न गानो में या नाटकों में डांस करते है। इनका जन्म बिहार के सारण जिले में हुआ उसके बाद 10 वर्ष के ही इन्होने अदाकारी करना शुरू कर दिया था। उसके बाद से ही यह शिकार तक पूछते गए। जल्द ही बिहार के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिकारी के सम्पर्क में आ गए। उसके बाद उनको प्रिसिद्धि ही मिलती गई। और आज इनको पद्मा श्री पुरुस्कार से नवाजा गया है।
अब आइये जानते है दूसरे दलित कलाकार से जिन्होंने हासिंल किया है पद्मा श्री पुरुस्कार दुलारी देवी की। आपको बता दे कि यह मदुबनी जिले के रतनी गांव में रहती है। यह मिथिला चित्रकार है। इनकी इसी कला से इनको यह राष्ट्रीय पुरुस्कार मिला है। इन्होने पहली बार मिथिला चित्रकार के घर पहली बार सहायिका के रूप में पेंट का ब्रश हाथ में लिया। उस दिन से ही इनका जीवन का रंग बदल गए उस दिन से ही वो चित्रकारी करना शुरू कर दिया और आज उन्होंने पद्मा श्री पुरुस्कार हांसिल कर लिया।
हत्यारों सजा सुनाई जानी चाहिए सर
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